आप सभी को अनिशा की तरफ से दिनमान की शुभकामनायें ,
कवितायेँ मन की अभिव्यक्ति होती हैं जो मन की विचारधाराओं के अथाह सागर में उन लहरों का प्रतीक हैं जो सबसे ऊपर की पंक्ति में सागर से बाहर आती है.... मेरे मन रुपी सागर में भी ऐसी ही लहरें है जिन्हें मैं आप सभी से अपनी कवितायों के माध्यम से अभिव्यक्त करना चाहती हूँ।
यह मेरी मन की अभिव्यक्ति है.… आशा है की आप सभी को पसंद आयेगी.......!!!
काश मेरी माँ लौट के आती.…।
गोद में तेरी बचपन बीता,
आई जवानी सबकुछ छूटा।
प्यार मेरा जितना था तुझसे,
उसमे से कुछ हिस्सा छूटा।
खाने और कमाने को माँ ,
घर और तुझसे नाता टूटा।
मिलना चाहूँ समय नहीं है ,
तुझे बुलाऊँ जगह नहीं है।
जीवन में सबकुछ मैंने पाया,
तेरी कमी को भर ना पाया।
रुपया -पैसा दिया बहुत सा,
प्यार तेरा लौटा ना पाया।
याद तेरी जब जब मुझे आती,
मंन को आहत करती जाती।
तड़प-तड़प कर कहता है मन,
काश मेरी माँ लौट के आती।
आपकी अपनी,
अनिशा